नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI और बैंकों ने RuPay- Unified Payments Interface पर क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर लगने वाले चार्ज का खाका तैयार कर लिया है.

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI और बैंकों ने RuPay- Unified Payments Interface पर क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर लगने वाले चार्ज का खाका तैयार कर लिया है. दोनों पक्षों के बीच पिछले हफ्ते हुई बातचीत में इस तरह के ट्रांजेक्शन पर 2 फीसद का MDR लगाने को लेकर सहमति बन गई थी. अब समझते हैं कि ये MDR क्या है और कैसे लगता है.

MDR का मतलब Merchant Discount Rate से है. ये वो रेट है जिसपर मर्चेंट्स जैसे कि किसी दुकान या ई-कॉमर्स साइट्स को क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और डिजिटल वॉलेट के जरिए पेमेंट एक्सेप्ट करने पर चार्ज देना पड़ता है. MDR आमतौर पर ट्रांजेक्शन अमाउंट का दो से तीन फीसद होता है. उदाहरण के लिए अगर कोई कस्टमर किसी मर्चेंट को क्रेडिट कार्ड के जरिए 10,000 रुपए पे करता है और उसपर 2 फीसद MDR लग रहा है तो मर्चेंट को इस पेमेंट पर 200 रुपए का चार्ज लगेगा.

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RuPay क्रेडिट कार्ड से UPI करने पर लगेगा 2 फीसदी MDR, जानिए ये MDR क्या है और कैसे लगता है

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI और बैंकों ने RuPay- Unified Payments Interface पर क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर लगने वाले चार्ज का खाका तैयार कर लिया है.

RuPay क्रेडिट कार्ड से UPI करने पर लगेगा 2 फीसदी MDR, जानिए ये MDR क्या है और कैसे लगता है

RuPay क्रेडिट कार्ड से UPI करने पर 2 फीसद MDR लगेगा

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Money9 | Edited By: सुनील चौरसियाJul 28, 2022 | 9:41 AM

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI और बैंकों ने RuPay- Unified Payments Interface पर क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर लगने वाले चार्ज का खाका तैयार कर लिया है. दोनों पक्षों के बीच पिछले हफ्ते हुई बातचीत में इस तरह के ट्रांजेक्शन पर 2 फीसद का MDR लगाने को लेकर सहमति बन गई थी. अब समझते हैं कि ये MDR क्या है और कैसे लगता है.

MDR का मतलब Merchant Discount Rate से है. ये वो रेट है जिसपर मर्चेंट्स जैसे कि किसी दुकान या ई-कॉमर्स साइट्स को क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और डिजिटल वॉलेट के जरिए पेमेंट एक्सेप्ट करने पर चार्ज देना पड़ता है. MDR आमतौर पर ट्रांजेक्शन अमाउंट का दो से तीन फीसद होता है. उदाहरण के लिए अगर कोई कस्टमर किसी मर्चेंट को क्रेडिट कार्ड के जरिए 10,000 रुपए पे करता है और उसपर 2 फीसद MDR लग रहा है तो मर्चेंट को इस पेमेंट पर 200 रुपए का चार्ज लगेगा.

Money9 Jhatpat: Digital Transactions में लगने वाला MDR क्या है? RuPay-UPI Transactions | Merchants
https://youtube.com/watch?v=Gw54j5kmrE0%3Fenablejsapi%3D1%26amp%3D1%26playsinline%3D1

रुपे क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन पर बनी 2 फीसदी MDR की सहमति

अब वापस खबर पर लौटते हैं. रुपे क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन पर 2 फीसद के जिस MDR पर सहमति बनी है, उसमें से 1.5 फीसद हिस्सा कार्ड जारी करने वाले बैंक को जाएगा और बाकी का हिस्सा Rupay और उस बैंक को जाएगा जिसके खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं.यह योजना अभी मंजूरी के लिए आरबीआई के पास भेजी जाएगी और Rupay UPI क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन सितंबर में शुरू हो जाएंगे.

इससे पहले रिजर्व बैंक ने पिछले महीने Rupay क्रेडिट कार्ड्स को UPI से लिंक करने की घोषणा की थी. इससे इन कार्ड के जरिए UPI से होने वाली लेनदेन पर लगने वाला MDR तय करने का मुद्दा अहम बन गया था.

2000 रुपये तक के ट्रांजेक्शन पर नहीं लगता कोई MDR

इस समय डेबिट कार्ड से होने वाले 2,000 रुपए तक के ट्रांजेक्शन पर कोई MDR नहीं लगता. रुपे क्रेडिट कार्ड से होने वाले ट्रांजेक्शंस पर MDR तय करना इस लिहाज से अहम था कि यह क्रेडिट कार्ड बिजनेस के लिए जरूरी है.20 लाख रुपये तक सालाना कारोबार वाली इकाइयों में ऐसे लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, लेकिन उन पर एक बार में 2,000 रुपये से 5,000 रुपये तक का ही ट्रांजेक्शन हो सकता है. हालांकि दिन में कितनी बार भी लेनदेन किए जा सकते हैं.

Money9: क्या आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी हो गई है लैप्स? जानें कब करें रिन्यू

सोनीपत की शिखा ने दोस्त के दबाव में आकर एक जीवन बीमा पॉलिसी खरीद ली. तीन साल तक एक लाख रुपए सालाना प्रीमियम दिया.

सोनीपत की शिखा ने दोस्त के दबाव में आकर एक जीवन बीमा पॉलिसी खरीद ली. तीन साल तक एक लाख रुपए सालाना प्रीमियम दिया. जब शिखा को पता चला कि यह पॉलिसी तो उनके किसी काम की नहीं है, तो उन्होंने प्रीमियम देना बंद कर दिया. अब यह पॉलिसी लैप्स हो गई है. बीमा कंपनी वाले शिखा पर पॉलिसी रिन्यू कराने का दबाव बना रहे हैं. जबकि, निवेश सलाहकार पॉलिसी को सरेंडर करने की सलाह दे रहे हैं.

प्रीमियम के बराबर पैसे मिलने में परेशानी

अगर शिखा इस पॉलिसी को सरेंडर करती हैं, तो उन्हें एक साल के प्रीमियम के बराबर भी पैसे वापस नहीं मिल रहे. शिखा अच्छी खासी पढ़ी-लिखी है. फिर वह क्यों और कैसे फंस गईं, इसको लेकर अपने आपको खूब कोस रही हैं. दरअसल निवेश के उद्देश्य से खरीदी गई पालिसी अगर शुरुआती सालों में लैप्स हो जाती है, तो सरेंडर करने की स्थिति में बीमाधारक के हाथ में प्रीमियम के रूप में जमा की गई राशि का कुछ हिस्सा ही हाथ लग पाता है. इस स्थिति में बीमा कंपनी आपकी कुल जमा राशि में से पूरी अवधि की लागत वसूल कर लेती हैं.

इसमें एक बड़ा हिस्सा एजेंट के लिए किए गए भुगतान का होता है. पेडअप वैल्यू हाथ लगने के बाद आपके पास सिवाय पछताने के और कोई चारा नहीं बचता. अगर आपकी बीमा पॉलिसी लैप्स हो गई है, तो कब रिन्यू कराना चाहिए और कब नहीं, यह पूरा शो देखने के लिए डाउनलोड करें मनी9 का ऐप्लीकेशन. यह ऐप इस लिंक के जरिए डाउनलोड कर सकते है-

https://onelink.to/gjbxhu.

आपको बता दें कि आप अपने लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से नकदी कमाई कर सकते हैं. यह सुविधा पॉलिसी के प्रीमियम पर दी जाती है. यह कमाई बोनस के रूप में दी जाती है.

क्या है मनी9?

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